An Unbiased View of Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana
इसे repeat करते हुए नया भाव जोड़ें – “मैं सुरक्षित हूं”
दूसरों पर भरोसा न होने के कारण भी डर की उत्तपत्ति होती है। एक दूसरे के बीच की दूरी किसी भी परिवार या समाज में अविश्वास और भय को जन्म देती है एवं विकास के लिए नुकसानदायक होती है।
अगर ये सब करने के बावजूद भी आपको खुद में फर्क नज़र नहीं आता तो आप एक बार किसी अच्छे चिकित्सक से जरूर संपर्क करें.
अगर उसी वक़्त उस मुसीबत का सामना कर लिया जाए तो जीवन भर आप उसके डर से मुक्त रहंगे और आपमें एक अलग ही आत्मविश्वास आ जाएगा.
अगर नई स्किल से डरते हैं, तो माइक्रो-लेवल पर शुरुआत करें।
उनसे अपने सम्बन्ध अच्छे बनायें रखें. ध्यान रहे भगवान् वो शक्ति है जो आपको किसी भी मुसीबत से उबार सकती है, चाहे पूरी दुनिया ही आपके खिलाफ क्यों ना खड़ी हो.
डर कई प्रकार के होते हैं और हर व्यक्ति के अनुभव अलग हो सकते हैं:
ज्यादातर लोगों को किसी घटना से पहले डर लगता है, लेकिन स्थिति के बीच में कोई डर नहीं लगता। याद रखें कि डर आपकी इंद्रियों को बढ़ा देता है, जिससे आपके पास check here कुशलतापूर्वक और साहसपूर्वक प्रदर्शन करने की क्षमता आ जाती है।
सही लोगों के साथ रहें – जो आपको प्रेरणा दें, डर नहीं।
जब भी नकारात्मक विचार आए, तुरंत उसे सकारात्मक विचारों से बदलें। उदाहरण: “मैं नहीं कर सकता” को “मैं कोशिश करूंगा” से बदलें।
जन्म देना और वापिस बुलाना भगवान् का काम है, जब तक वो नहीं चाहेंगे, कोई भी आपका बाल भी बांका नहीं कर सकता.
अब जो आदमी सालों से अपने घर में दुबक कर बैठा है, जो कभी भी डर के पास ही नहीं गया या जिसने कभी भी कोई ऐसा काम करने की हिम्मत ही नहीं जुटाई, वो कैसे निर्भीक रह सकता है?
उत्तर: नहीं। डर से भागने की बजाय उसका सामना करना ही समाधान है।
हर बार जब आप कोई छोटा कदम लेते हैं, डर थोड़ा कम हो जाता है।